आरएसएस के श्री विजयादशमी उत्सव, नागपुर में प्रमुखअतिथि पद्मश्री शंकर महादेवन के उद्बोधन के मुख्य अंश

■ मैं सिर्फ धन्यवाद कर सकता हूं। हमारे अखंड
भारत का जो विचार है हमारे कल्चर, हमारे
ट्रेडिशन, हमारी संस्कृति बचाकर रखने में इस देश
में आप लोगों से ज्यादा किसी और का योगदान
नहीं है।
■ जब मैं स्वयंसेवकों को देखता हूँ वो देश में कोई
भी घटना हो, कोई भी समस्या हो, जब
आवश्यकता है वो भी पीछे खड़े होकर silently
अपने देश के लिए काम करते हैं तो अगर हम
कहेंगे कि हमारा देश एक गीत है तो हमारे
स्वयंसेवक उसके पीछे की सरगम हैं, जो गीत को
जान देते हैं।
■ इस समय मैं ऐसा महसूस कर रहा हूँ । विश्व भर
में भारत और भारतीय नागरिक को पूरा विश्व
सम्मान की नजरों से देखने लगा है। इसलिए मैं
कहता हूँ कि जहाँ भी हो, जहाँ भी जाओ, जब भी
जाओ सर उठाकर गर्व से कहो मैं भारत का
नागरिक हूँ ।


जब मैं गा रहा हूँ, अपनी संस्कृति के बारे में,
अपने शास्त्रीय संगीत अपना कल्चर अगली पीढ़ी
को बताने का कर्तव्य मैं समझता हूँ ।
हमारी संस्कृति और परंपरा की रक्षा में आप सभी
का योगदान अतुलनीय है ।
मेरा मानना है कि संगीत और गीतों के माध्यम से
हमारी संस्कृति को भविष्य की पीढ़ियों तक
शिक्षित और प्रसारित करना मेरा कर्तव्य है। मैं
युवाओं और बच्चों के साथ अपनी बातचीत में,
अपने शो, रियलिटी शो और यहां तक कि फिल्मी
गानों में भी ऐसा करने की कोशिश करता हूं ।

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