देवमाली। कहा जाता था कि
भारत की आत्मा गांवों में बसती है।
लेकिन आज शिक्षा, स्वास्थ्य और
रोजगार के घटते अवसरों के चलते
गांव खाली हो रहे हैं। युवा अपने
घर और खेत खलिहान छोड़कर
शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं।
इन सबके बीच एक गांव ऐसा
भी है, जिसने अपनी एक अलग
पहचान बनाई है। यह गांव है
ब्यावर जिले के मूसदा उपखंड का देवमाली गांव
इस गांव ने सदियों से अपनी संस्कृति के माध्यम से
प्राकृतिक संपदाओं को ना सिर्फ संरक्षित रखा है,
बल्कि समुदाय आधारित मूल्य और जीवन शैली को
भी बढ़ावा दिया है। पर्यटन मंत्रालय ने देवमाली गांव
को देश का ‘बेस्ट टूरिस्ट विलेज’ घोषित किया है।
केंद्र सरकार की ओर से आगामी 27 नवंबर को
दिल्ली में पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाएगा।
अरावली की पहाड़ियों के बीच बसा खूबसूरत
देवमाली गांव कई मायनों में अनोखा है कलियुग में
सतयुग का अहसास कराने वाले इस गांव में आज भी
पुरखों की चेतावनियों और निर्देशों का अक्षरश
पालन किया जाता है।
देवमाली गांव की पहाड़ी पर भगवान देवनारायण
का मंदिर है। मान्यता है कि विक्रम संवत् 999 में
भगवान देवनारायण यहां आए थे। देवनारायण मंदिर
में प्रतिमा के स्थान पर पांच ईंटों की पूजा की जाती
है। आज जब भी कहीं देवनारायण जी का मंदिर
बनाया जाता है तो जागती जोत और पूजा के लिए
पांच ईंटें देवमाली से ही ले जाई जाती हैं। गांव के
लोग सुबह-सुबह पूरी पहाड़ी की नंगे पैर परिक्रमा
करते हैं। देवमाली गांव की पहाड़ी के अनेक पत्थर
झुके हुए प्रतीत होते हैं।
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मान्यता है कि भगवान देवनारायण जब यहां आए
थे तो इन पत्थरों ने झुककर उनका अभिनंदन किया
था। इस मान्यता के चलते आज भी पहाड़ी से कोई
एक पत्थर भी उठाकर नहीं ले जाता। गांव के लोगों
का यह भी कहना है कि भगवान देवनारायण जब
यहां आए थे तो वे ग्रामीणों की सेवा से अत्याधिक
प्रसन्न हुए थे और उन्होंने गांव वालों से वरदान मांगने
के लिए कहा था। लेकिन ग्रामीणों ने कुछ नहीं मांगा।
गांव के बड़े बुजुर्ग बताते हैं कि इस पर भगवान
देवनारायण ने ग्रामीणों को शांति का वरदान दिया,
साथ ही कहा कि घर की छत को कभी पक्का मत
करना बस तभी से इस गांव में किसी ने घर पर
पक्की छत नहीं डलवाई।
ग्रामीणों के अनुसार, बीच में कई लोगों ने इसे
अंधविश्वास मानते हुए घर पर पक्की छत डालने का
प्रयास किया, लेकिन उनको कोई न कोई नुकसान
उठाना पड़ा। बस उसके बाद किसी ने फिर ऐसा नहीं
किया। सभी ग्रामीणों ने अपने बुजुगों की यह बात
गांठ बांध ली। यही कारण है, गांव में चाहे कोई
लखपति हो या करोड़पति सभी के घरों की छतें
कच्ची ही हैं। यहां तक कि गांव के लिए केंद्र सरकार
को भी अपने नियम बदलने पड़े, पीएम आवास
योजना में पक्की छत वाले घर नहीं बनाए जाते।
