भोपाल। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में
केन्द्रीय राज्यमंत्री (जनजातीय मामले) दुर्गादास उइके
ने शनिवार 21 सितम्बर को प्री-लोकमंथन अंतर्राष्ट्रीय
सम्मेलन का शुभारंभ किया। सम्मेलन में तीन पद्मश्री
से सम्मानित हस्तियां यानु लेगो, लक्ष्मी कुट्टी, अर्जुन
सिंह धुर्वे विशेष रुप से उपस्थित थे, जिनका सम्मान
केन्द्रीय राज्यमंत्री द्वारा शॉल एवं स्मृति चिन्ह देकर
किया गया। पांच दिवसीय जनजातीय वैद्य शिविर एवं
कार्यशाला का भी शुभारंभ किया गया।
असम एवं मिज़ोरम के जनजातीय समाज ने
दुर्गादास उइके का दुशाला देकर सम्मान किया।
सम्मेलन में शोध सारांश की बुकलेट का भी विमोचन
किया गया। इस अवसर पर केन्द्रीय राज्यमंत्री
(जनजातीय मामले) ने कहा कि जनजातीय समाज
प्रकृति का पूजक है। उन्होंने पूर्व लोकमंथन की प्रशंसा
करते हुए कहा कि यह आयोजन राष्ट्रीय चेतना को
जगाने का काम कर रहा है। उन्होंने जनजातीय समाज
के विभिन्न उदाहरण दिए, जिनमें भगवान राम द्वारा
शबरी के झूठे बेर खाना, पांडवों के वनवास और उनका
जनजातीय समाज के बीच रहना, भीम का हिडिम्बा से
शादी करना, बेटे घटोत्कच का जन्म, उसके बाद बेटे
बर्बरीक का जन्म एवं बर्बरीक की वीरता और खाटू
श्याम के नाम से उनका विख्यात हो जाना। सम्राट
घनानंद से बदला लेने के लिए और रणनीति बनाने के
लिए चाणक्य का जनजातीय समाज के बीच रहना और
उनकी सहायता लेना । प्री-लोकमंथन को प्रेरणादायी
बताते हुए सम्मेलन में आए सभी लोगों से भारत को
स्वर्णिम राष्ट्र बनाने की अपील की।
अखिल भारतीय प्रज्ञा प्रवाह के संयोजक जे.
नंदकुमार ने कहा कि भारत की संवाद परंपरा पश्चिम
से पूर्व की है। लोक यानी ओरिजनालिटी है। उन्होंने
भाग्यनगर में होने वाले लोकमंथन के बारे में
महत्वपूर्ण जानकारी दी। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय
पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पूर्व कुलगुरु
प्रो. (डॉ.) के. जी. सुरेश ने पारंपरिक चिकित्सा को
ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाए जाने की बात
कही। उन्होंने शोध के विभिन्न वैज्ञानिक मापदंडों पर
विशेष प्रकाश डाला।
